
तुम्हारे मिलने के🔸 बाद नाराज़ है रब्ब मुझसे,
क्योंकि मैं उनसे अब और कुछ 🔸मांगता ही नहीं।
काश तुम🔸 पूंछो की हम तुम्हारे क्या लगते हैं,
और हम तुम्हे गले लगा कर 🔸कहे सब कुछ।
निगाहों से तेरे 🔸दिल पर पैगाम लिख दूं,
तुम कहो तो अपनी रूह🔸 तेरे नाम लिख दूं।
न होके भी तू 🔸मौजूद है मुझमें,
क्या खूब तेरा वजूद है🔸 मुझमें।
तेरी चाहत 🔸मुकद्दर है मिले या ना मिले,
राहत जरूर मिलती है तुझे 🔸अपना सोचकर।