किसने दस्तक 🔸दी, दिल पे, ये कौन है
आप तो 🔸अन्दर हैं, बाहर कौन है
बुलाती है मगर जाने🔸 का नहीं
बुलाती है मगर 🔸जाने का नहीं
ये दुनिया🔸 है इधर जाने का नहीं
मेरे बेटे किसी से🔸 इश्क़ कर
मगर हद से गुज़र 🔸जाने का नहीं
अपने हाकिम की🔸 फकीरी पे तरस आता है
जो गरीबों से पसीने की 🔸कमाई मांगे
मैं जानता हूँ कि दुश्मन🔸 भी कम नहीं लेकिन
हमारी तरह 🔸हथेली पे जान थोड़ी है
हमारे मुंह से जो निकले 🔸वही सदाक़त है
हमारे मुंह में 🔸तुम्हारी ज़ुबान थोड़ी है