जानने 🔸की कोशिश🔸 की थी तुमको,
तुमने कभी मुझ 🔸पर ध्यान ना दिया,
गैरों पर तुम्हे गहरा विश्वास था,
जिसने अपना🔸 समझा उस पर विश्वास ना किया।
चाहा ना उसने मुझे बस🔸 देखता रहा,
मेरी ज़िंदगी से 🔸वो इस तरह खेलता रहा,
ना उतरा कभी मेरी ज़िंदगी 🔸की झील में,
बस किनारे पर 🔸बैठा पत्थर फेंकता रहा।
सांसो का पिंजरा किसी दिन🔸 टूट जायेगा,
ये मुसाफिर 🔸किसी राह में छूट जायेगा,
अभी जिन्दा हु तो बात कर🔸 लिया करो,
क्याब पता कब हम🔸 से खुदा रूठ जायेगा।
वो बिछड़ के🔸 हमसे ये दूरियां कर गई,
न जाने क्यों ये मोहब्बत🔸 अधूरी कर गई,
अब हमे तन्हाइयां🔸 चुभती है तो क्या हुआ,
कम से कम उसकी सारी🔸 तमन्नाएं तो पूरी हो गई।